उनके परिवार में उनकी पत्नी सरिता और बेटी सारा हैं। चौहान ने लेखन बिरादरी के अधिकारों के लिए भी सक्रिय रूप से भाग लिया। अपने करियर में कई प्रशंसाओं में से चौहान ने अपनी अचेतन फिल्म आई एम कलाम (2011) के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानी का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। मैंने गांधी को नहीं मारा और धूप भी चौहान की उल्लेखनीय फिल्मों में से कुछ हैं।
ऑनलाइन रिपोर्ट्स के मुताबिक चौहान का जन्म और पालन-पोषण भोपाल में हुआ है। उनके पिता भारतीय रेलवे के लिए काम करते थे, जबकि उनकी माँ एक स्कूल टीचर थीं। संजय चौहान ने दिल्ली में एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और फिर 1990 के दशक में सोनी टेलीविजन के लिए अपराध-आधारित टीवी श्रृंखला, भंवर लिखने के बाद वे मुंबई चले गए। चौहान के उल्लेखनीय योगदानों में से एक सुधीर मिश्रा की प्रसिद्ध 2003 की फिल्म हजारों ख्वाहिशें ऐसी का संवाद भी था।
अंतिम संस्कार आज दोपहर 12.30 बजे मुंबई के ओशिवारा श्मशान घाट में किया जाएगा।